कोई सरकारी मुलाज़िम अगर आर ऐस ऐस मैंबर हो तो वो क़ौम का वफ़ादार नहीं हो सकता: बैरिस्टर उवैसी
हैदराबाद 22؍ जुलाई सदर कल हिंद मजलिस इत्तिहाद अलमुस्लिमीन-ओ-रुकन पार्लीमैंट हैदराबाद बैरिस्टर असद उद्दीन उवैसी ने सैंटर्ल गर्वनमैंट की जानिब से सरकारी मुलाज़मीन को आर ऐस इसके सरगर्मीयों में हिस्सा लेने की इजाज़त देने के फ़ैसले की परज़ोर मुख़ालिफ़त की वर इस फ़ैसले कुमलक की यकता और योनेटी के लिए ख़तरा क़रार दिया
सोशल मीडीया प्लेटफार्म ऐक्स पर सदर मजलिस ने हुकूमत के हुक्म की एक कापी पोस्ट करते हुए लिखा कि ”इस दफ़्तरी मेमो से ज़ाहिर होता है कि हुकूमत ने आर ऐस उसकी सरगर्मीयों में हिस्सा लेने वाले सरकारी मुलाज़मीन पर से पाबंदी हटा दी है। अगर सच्च है तो ये हिन्दोस्तान की यकता और इत्तिहाद के ख़िलाफ़ है। आर ऐस इसपर पाबंदी इसलिए मौजूद है कि उसने असल में क़ानून, क़ौमी पर्चम और क़ौमी तराने को मानने से इनकार कर दिया था
आर ऐस उसका हर मैंबर एक हलफ़ लेता है जो हिंदूतवा कुमलक से ऊपर रखता है। कोई सरकारी मुलाज़िम अगर आर ऐस उसका रुकन हो तो वो क़ौम का वफ़ादार नहीं हो सकता
कांग्रेस पार्टी ने भी मोदी हुकूमत के इस फ़ैसले की परज़ोर मुख़ालिफ़त की है। कांग्रेस तर्जुमान पावन खीरा ने कांग्रेस लीडर पावन खेड़ा ने सरकारी हुक्मनामा की एक कापी ट्वीट की और लिखा कि सरकार ने58 साल पुरानी पाबंदी हटा दी है