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ख़ान युनिस में चार दिनों में एक लाख 80 हज़ार अफ़राद की नकल मकानी

ग़ज़ा – 27 जुलाई
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने बताया है कि ग़ज़ा की पट्टी के दक्षिणी इलाक़े ख़ान युनिस शहर के इर्द-गिर्द चार रोज़ तक जारी रहने वाली शदीद लड़ाई के दौरान एक लाख 80 हज़ार से ज़्यादा फ़लस्तीनी नकल मकानी पर मजबूर हुए।
दूसरी तरफ़ इस इलाक़े में इसरायली क़ैदियों की लाशें और बक़ियात निकालने का ऑपरेशन जारी है।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के राबिता दफ्तर बराए इंसानी उमूर [OCHA] ने कहा है कि ख़ान युनिस के इलाक़े में हालिया “शदीद लड़ाई” में इसराइल और हमास के दरमियान जंग के आग़ाज़ के नौ माह बाद ग़ज़ा भर में दाक़िली नकल मकानी की नई लहरें पैदा हुईं”।
उन्होंने मजीद कहा कि “तकरीबन एक लाख 80 हज़ार अफ़राद” वुस्त और मशरिकी ख़ान युनिस से पीर और जुमेरात की दरमियानी शब बेघर हुए, जब कि सैंकड़ों दीगर लोग अब भी मशरिकी ख़ान युनिस में फंसे हुए हैं”।
पीर के रोज़ इसरायली फ़ौज ने दक्षिणी शहर के कुछ हिस्सों को ख़ाली करने के हुक्मात जारी किए थे। इसने एलान किया कि इसकी अफ़वाज वहाँ ज़बरदस्ती काम करेंगी। ताहम साथ ही फ़ौज ने इलाक़े को महफूज़ क़रार देते हुए फ़लस्तीनियों को इस तरफ़ नकल मकानी के हुक्मात दिए थे।
बुध के रोज़ इसरायली फ़ौज ने ख़ान युनिस में ऑपरेशन के दौरान पाँच अफ़राद की लाशें बरामद करने का एलान किया, जिनमें एक ख़ातून और दो फ़ौजी शामिल हैं। ये तमाम अफ़राद इसराइल पर हमास के हमले के दौरान मारे गए थे और उन्हें ग़ज़ा की पट्टी मुंतक़िल कर दिया गया था।
इस हफ्ते ख़ान युनिस में हालिया लड़ाइयों के आग़ाज़ के बाद से इसरायली फ़ौज ने जुमा के रोज़ कहा कि इसकी अफ़वाज ने शहर में तक़रीबन 100 जंगजूओं को ख़त्म कर दिया है।
इसरायली फ़ौज के चीफ ऑफ़ स्टाफ़ हर्ज़ी हेलीवी ने कहा कि क़ैदियों की लाशें ज़ेर-ए-ज़मीन छुपी सुरंगों और दीवारों से बरामद हुई हैं।
हेलीवी ने इसरायली फ़ौज की तरफ़ से जारी कर्दा एक बयान में मजीद कहा कि उनकी अफ़वाज “माज़ी में हलाक़ होने वालों की लाशों के क़रीब थीं और हमें इस हफ्ते तक ये नहीं मालूम था कि उन तक कैसे पहुंचें”।
आइनी शाहिदीन और रेस्क्यू अहलकारों ने बताया कि मशरिकी ख़ान युनिस के इर्द-गिर्द जुमा को पर्तशद्द लड़ाइयां जारी रहीं। सिविल डिफ़ेंस ने बताया कि बम धमाके के नतीजे में कम अज़ कम दो अफ़राद हलाक़ हुए।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के अदाद व शुमार के मुताबिक ग़ज़ा के 2.4 मिलियन अफ़राद की अकसरियत लड़ाई की वजह से कम अज़ कम एक बार बेघर हो चुकी है।

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