पेरिस ओलंपिक में भारत ने पहला मेडल जीत लिया। मनु भाकर को निशानेबाज़ी में ब्रॉन्ज़ मेडल
पेरिस – 28 जुलाई। भारतीय निशानेबाज़ मनु भाकर ने रविवार को पेरिस ओलंपिक में इतिहासिक कांस्य (ब्रॉन्ज़) का तमगा जीत लिया। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल मुकाबले में कांस्य का तमगा जीतकर भारत का पेरिस ओलंपिक में खाता खोला। वह ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय निशानेबाज़ महिला हैं। भारत ने 12 साल बाद निशानेबाज़ी में ओलंपिक मेडल जीता है। 22 साल की मनु ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने के बाद खुलासा किया कि उन्होंने भगवद गीता बहुत पढ़ी है। उन्होंने कहा कि जब निशाने पर मेडल था तो दिमाग में गीता का ज्ञान चल रहा था।
मनु ने कहा कि मेडल जीतकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। भारत को काफ़ी अरसे से इस मेडल का इंतज़ार था। मैं बस इसे हासिल करने के लिए तैयार थी। भारत बहुत सारे तमगों का हक़दार है। इसलिए हम इस बार ज़्यादा से ज़्यादा मुकाबलों के लिए प्रोत्साहित हैं और पूरी टीम ने हक़ीक़त में कड़ी मेहनत की है। मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर यह अहसास हक़ीक़त में किसी ख्वाब की तरह है। मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम किया। मैंने बहुत कोशिश की और आख़री दम तक पूरी तवानाई के साथ जद्दोजहद करती रही। हालाँकि यह ब्रॉन्ज़ मेडल है, लेकिन मैं हक़ीक़त में शुक्रगुज़ार हूँ कि मैं भारत के लिए कांस्य का मेडल जीत सकी शायद अगली बार बेहतर हो।
मनु टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाई थीं। मनु से जब पूछा गया कि टोक्यो की मायूसी से निपटने के लिए उन्होंने क्या किया तो निशानेबाज़ मनु ने कहा कि आप अपनी तरफ से कोशिश करते रहें। उन्होंने कहा कि मैं कितना अच्छा महसूस कर रही हूँ, आप को नहीं बता सकती। उन्होंने कहा कि सभी दोस्तों, रिश्तेदारों और खैरख्वाहों का शुक्रिया। इन्हीं की बदौलत मैं यहाँ खड़ी हूँ। आप सभी ने मेरी ज़िंदगी को इतना आसान बना दिया। मैं अपने कोच जसपाल साहब, अपने स्पॉन्सर ओजीक्यू और मेरे कोचों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ।