मुसलिम चोटी कांफ्रेंस में मुसलमानों को दरपेश मसाइल पर गौर व खौस। हिकमत अमली तय्यार करने का मशवरा
मुंबई: 12 अगस्त
राज्यी असंबली इलेक्शन और पूरे मुल्क में सियासी तौर पर मुसलमानों की पेशकदमी और वसीअतर क़ौमी मफाद के पेश नजर अन्नकरीब मुलकी सतह पर मुसलमानों के एक सेंटरल बोर्ड की तशकील रो बह अमल है इस सिलसिले में मुंबई के सहारा (सांता क्रूज़) होटल में मुख्तलिफ मकातिब-ए-फिकर से ताल्लुक रखने वाले उलेमा-ए-किराम, मुख्तलिफ सियासी पार्टियों से वाबस्ता अराकीन पार्लियामेंट व असंबली और सरकरदा समाजी व सियासी शख़सियतों की मौजूदगी में एक ज़िली कमीटी तशकील दी गई।
मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद निआमनी, मौलाना तौकीर रज़ा की सरबराही में मज़ीद मैंबरान को इस कमीटी में शामिल किया जाएगा। सरदस्त मौलाना सज्जाद निआमनी ने मुसलिम वेल्फेयर एसोसिएशन के सदर सलीम सारंग का नाम बतौर कमीटी मेंबर पेश किया। वाज़ेह रहे कि मुसलिम वेल्फेयर एसोसिएशन की जानिब से मुल्क में मुसलमानों को दरपेश मसाइल और हालात पर एक “मुसलिम समिट” का एहतिमाम किया गया था जिस में उलेमा-ए-किराम, अराकीन पार्लियामेंट व असंबली व दीगर अकाबिर ने अपने ख़यालात का इज़हार किया।
मुसलिम समिट के सदर नशीन मौलाना सज्जाद निआमनी ने कहा कि ये सच है कि मुसलमान हिंद इस वक़्त तारीख के बदतरीन दौर से गुजर रहे हैं मगर जीने की अदा इसी का नाम है कि इन हालात में भी हम मुनफी पहलुओं को मुस्तरद करते हुए सकारात्मक पहलुओं पर गौर करें। इस मुल्क में हमारा असल मसला अपने तशख़्स का है गोया हमारा वजूद ख़तरे में है! इस मुल्क की ग़ालिब अकसरियत हिंदू नहीं हैं लेकिन ख़वाह मख़्वा ये जताया जाता है मुल्क के 80 प्रतिशत बाशिंदे हिंदू हैं।
ये सियासी बाज़ीगरी है। अगर ये सच होता तो मुल्क की सदर जुम्हूरीया मरमो को राम मंदिर की इफ्तिताही तक़रीब से दूर नहीं रखा जाता और साबिक़ सदर जुम्हूरीया रामनाथ कोविंद को धक्के मार कर एक मंदिर से बाहर नहीं निकाला जाता! मौलाना तौकीर रज़ा ने कहा कि इस मुल्क में हम अरसा दराज़ से अपने वक़्त का इंतज़ार कर रहे हैं और वक़्त ज़ाया कर रहे हैं हमारी मुश्किल ये है कि हमारे जो लोग इत्तिहाद-ए-मिल्लत का नारा लगाते नहीं थकते वही ऐन वक़्त पर इख़्तिलाफ़ात का जाल बना देते हैं जब तक हम अपनी पेशानी से मजबूरी का टैग नहीं हटाएंगे हमारा कोई परसाने हाल नहीं होगा।
मुझे इस अमर का तजुर्बा है मैंने खुद इस सियासी ज़बून हाल के खात्मा के लिए सियासी पार्टी क़ायम की थी और मुटादिद सरकरदा मुसलमानों ने ऐसा किया था खुद मुंबई शहर में हाजी मस्तान मिर्जा ने अपनी सियासी जमात तशकील दी थी कि मुसलमानों को सियासी तौर पर ताक़तवर बनाया जाए मगर क्या हुआ? उनके पास जो था वो भी गिनवा बैठे!