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वक़्फ़ तरमीमी बल के ख़िलाफ़ दिल्ली में मुशतर्का प्रैस कान्फ़्रैंस से मुस्लिम रहनुमाओं का ख़िताब

वक़्फ़ तरमीमी बल के ख़िलाफ़ दिल्ली में मुशतर्का प्रैस कान्फ़्रैंस से मुस्लिम रहनुमाओं का ख़िताब

नई दिल्ली 23 अगस्त

दिल्ली वक़्फ़ तरमीमी बल2024के तनाज़ुर में कांस्टी टीयूशन कलब में जमई हिंद और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की तरफ़ से मुनाक़िद एक पर हुजूम मुशतर्का प्रैस कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए सदर जमई उल्मा हिंद मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक़्फ़ पर हुकूमत जो तरमीमी बिल ले कराई है इस से हमारे मज़हब और औक़ाफ़ पर ज़रब पड़ती है इस बिल से हमारी इक़तिदार और हमारे उसूल मुतास्सिर होते हैं इस लिए हमें उस के ख़िलाफ़ एहतिजाज करने का हक़ है उन्होंने कहा कि अभी जो पारलीमानी इलैक्शन हुआ इस में तक़रीरों में इस्लाम और मुस्लमानों पर मुसलसल चोट की जाती रही ताकि हिंदू मुस्लिम के दरमयान नफ़रत पैदा कर के इलैक्शन जीत लिया जाये मगरिया तजुर्बा नाकाम रहा। ख़ुशी की बात ये है कि मलिक के अवाम ने जिसमें तमाम मज़ाहिब के मानने वाले शामिल हैं, इस एजंडे को मुस्तर्द कर दिया इस तरह बी जे पी जो पार्लीमैंट में तन्हा अक्सरीयत में होती थी अक़ल्लीयत में आगई, उसे शिकस्त का मुँह देखना पड़ा

मौलाना मदनी ने ज़ोर देकर कहा कि हम आज से नहीं पिछले तक़रीबन तेराह सोबर्स से बिरादरान वतन के रहन सहन में शरीक रहे हैं मगर अफ़सोस ऊपर बैठे हुए एक शख़्स को ये बात पसंद नहीं है, सयासी कामयाबी के लिए हिंदू मुस्लिम की सियासत को ही वो एक कारगर हर्बा तसव्वुर करता है उन्होंने वज़ाहत की कि ये मसला वक़्फ़ के तहफ़्फ़ुज़ का नहीं है मलिक के आईन के तहफ़्फ़ुज़ का है ये वो सैकूलर आईन है जिसके लिए हमारे अकाबिरीन डेढ़ सौ साल तक मलिक को गु़लामी से आज़ाद कराने के लिए क़ुर्बानियां देते रहे चुनांचे हम कह सकते हैं और यही हक़ीक़त है कि मलिक का सैकूलर आईन जमई हिंद के अकाबिरीन ने बनवाया है इस के दस्तावेज़ी सबूत हमारे पास मौजूद हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज़ादी से क़बल ही हमारे अकाबिरीन ने इस वक़्त की कांग्रेस क़ियादत से इस बात का अह्द ले लिया था कि आज़ादी के बाद मलिक का आईन सैकूलर होगा, चुनांचे आज़ादी के बाद जो आईन मुरत्तिब हुआ इस में मलिक की तमाम मज़हबी अक़ल्लीयतों को मज़हबी आज़ादी ही फ़राहम नहीं की गई बल्कि दूसरे कई अहम इख़्तयारात भी दिए गए, मौलाना मदनी ने कहा कि मौजूदा हुकूमत आईन में शामिल इन दफ़आत की मुख़ालिफ़ है जिसमें अक़ल्लीयतों के मज़हबी मुक़ामात इमारतों,क़ब्रिस्तान, इमाम बाड़ों और स्कूलों को तहफ़्फ़ुज़ की ज़मानत दी गई है, चुनांचे ये तरमीमी बिल आईन की ना सिर्फ बालादस्ती को ख़त्म करता है बल्कि इस में की गई तरमीमात के ज़रीया हुकूमत वक़्फ़ को मुस्लमानों के हाथों से छीन लेना चाहती है इस लिए हम उस के इस ख़तरनाक नज़रिया की पूरी शिद्दत के साथ मुख़ालिफ़त करते हैं,उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू मज़हबी मुक़ामात की देख-भाल और तहफ़्फ़ुज़ के लिए जो श्रावण बोर्ड तशकील दिया गया उस के लिए साफ़ तौर पर ये वज़ाहत मौजूद है कि जैन, सुख या बोध उस के मैंबर नहीं होंगे।

मौलाना ने सवाल किया कि अगर जैन, सुख औरबोध श्रावण बोर्ड के मैंबर नहीं हो सकते तो वक़्फ़ बोर्ड में ग़ैर मुस्लिमों की नामज़दगी और तक़र्रुरी को किस तरह दरुस्त ठहराया जा सकता है,?जबकि जैन और बुध हिंदूव मज़हब से अलग नहीं समझा जाता बल्कि उन्हें एक अलग फ़िर्क़ा तसव्वुर किया जाता है, चुनांचे अगर श्रावण बोर्ड में हिंदू होते हुए भी एक फ़िर्क़ा होने की बुनियाद पर उनकी शराकत नहीं हो सकती तो वक़्फ़ बोर्डों में ग़ैरमुस्लिमों की नामज़दगी और तक़र्रुरी को लाज़िमी क्यों किया जा रहा है?सहाफ़ीयों के ज़रीया पूछे गए सवालात का जो अबदीते हुए उन्होंने ये वज़ाहत की कि यूपी, केराला, कर्नाटक, तमिलनाडू, आंधरा प्रदेश वग़ैरा में ऐसे क़वानीन मौजूद हैं कि हिंदूमज़हब की इमलाक के अमूरका इंतिज़ाम करने वालों का हिंदूमज़हब का पैरोकार होना ज़रूरी है, जिस तरह हिन्दुवों, सिखों और ईसाईयों के मज़हबी उमूरमें किसी दीगर मज़हबी तबक़ा की मुदाख़िलत नहीं हो सकती है तो ठीक इसी तरह वक़्फ़ की जायदादों का इंतिज़ाम भी मुस्लमानों के ही ज़रीया होना चाहीए।इस लिए हमें कोई ऐसी तजवीज़ औक़ाफ़ के निज़ाम में हर गज़ क़बूल नहीं है, उन्होंने कहा कि इस से साफ़ ज़ाहिर है कि हुकूमत की नीयत में खोट है, और इस बल के ज़रीया उस का मक़सद काम काज में शफ़्फ़ाफ़ियत लाना और मुस्लिम तबक़ा को फ़ायदा पहुंचाना नहीं बल्कि मुस्लमानों को उनकी वक़्फ़ जायदादों से महरूम कर देने के साथ साथ वक़्फ़ जायदादों पर से मुस्लमानों के दावे को कमज़ोर बना देना है, यही नहीं बिल में की जाने वाली तरमीमात की आड़ लेकर कोई भी शख़्स किसी मस्जिद, क़ब्रिस्तान,इमाम बाड़गाह, इमारत और अराज़ी की वक़्फ़ हैसियत पर सवालिया निशान लगा सकता है।

मौलाना मदनी ने ये भी कहा कि इस तरह नए तनाज़आत का एक लामतनाही सिलसिला शुरू हो सकता है और तरमीमी बिल में मौजूद मुस्लमानों की कमज़ोर क़ानूनी हैसियत का फ़ायदा उठाकर वक़्फ़ जायदादों पर क़बज़ा करना आसान हो सकता है, उन्होंने ये भी कहा कि हम एक दो तरमीम की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि बल की ज़्यादा तरतरमीमात ग़ैर आईनी और वक़्फ़ के लिए ख़तरनाक और तबाह कण है,दूसरे ये बिल मुस्लमानों को दिए गए आईनी इख़्तयारात पर भी एक हमला है, आईन ने अगर मलिक के हर शहरी को मज़हबी आज़ादी और यकसाँ हुक़ूक़ दिए हैं तो वहीं मुल्क में आबाद अक़ल्लीयतों को बाअज़ ख़ुसूसी इख़्तयारात भी दिए गए हैं और तरमीमी बल इन तमाम इख़्तयारात की मुकम्मल तौर पर नफ़ी करता है।

अख़ीर में मौलाना मदनी ने हैरत का इज़हार करते हुए कहा कि वक़्फ़ तरमीमी बल2024के तहत तजवीज़ दी गई है कि मौजूदा ऐक्ट की तजवीज़ सैक्शन40 को सिरे से हज़फ़ कर दिया जाये जबकि औक़ाफ़ पर2006मुशतर्का पारलीमानी कमेटी और जस्टिस सच्चर कमेटी ने रिपोर्ट किया था कि बड़ी तादाद में वक़्फ़ की जायदादों पर नाजायज़ क़बज़ा हैं और इसी सच्चर कमेटी रिपोर्ट का हवाला मौजूदा हुकूमत भी दे रही है, लेकिन इस के बावजूद2024के बल में ये तजवीज़ दी गई है कि रियास्ती वक़्फ़ बोर्ड को ये हक़ नहीं दिया जाये गाका इन जायदादों की निशानदेही करे जिस पर नाजायज़ क़बज़ा हैं और उन की बाज़याबी के लिए कोशिश करे। हुकूमत की ये तजवीज़ औक़ाफ़ के वजूद के लिए इंतिहाई नुक़्सानदेह है,एक और सवाल के जवाब में मौलाना मदनी ने साफ़-गोई से कहा कि पिछले दस बरसों के दौरान मलिक की अक़ल्लीयतों बिलख़सूस मुस्लमानों को पीठ से लगा देने ओरया बावर कराने के लिए कि अब बहैसीयत शहरी उनके कुछ भी हुक़ूक़ और इख़्तयारात नहीं रह गए हैं कई क़ानून जबरीया तौर पर लाए और नाफ़िज़ किए गए हैं,ये वक़्फ़ तरमीमी बिल भी उनमें से एक है जिसे किसी भी तरह मंज़ूर करवाकर मुस्लमानों पर जबरन लागू करने की साज़िश हो रही है, जिसे हम क़बूल नहीं कर सकते।

प्रैस कान्फ़्रैंस से मौलाना ख़ालिद सैफ-उल्लाह रहमानी सदर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, मौलाना मुहम्मद फ़ज़ल अलरहीम मुजद्ददी जनरल सैक्रेटरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, जनाब सय्यद सआदत अल्लाह हुसैनी अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद-ओ-नायब सदर बोर्ड, मौलाना असग़र इमाम मह्दी सलफ़ी अमीर मर्कज़ी जमईयत अहल-ए-हदीस-ओ-नायब सदर बोर्ड, डाक्टर सय्यद क़ासिम रसूल इलयास तर्जुमान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने भी किया।

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