दिल्ली दंगों केस, 6 मुस्लिम नौजवान बरी। आरोप साबित करने में पुलिस नाकाम
नई दिल्ली : 3 अगस्त
एक अदालत ने आज यहाँ 6 लोगों को आरोपों से बरी कर दिया जिन पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 के धार्मिक दंगों के दौरान आगजनी, दंगा भड़काने और चोरी के आरोप थे।
एडिशनल सेशन जज पी परमचला इनके खिलाफ केस की सुनवाई कर रहे थे। इन पर आरोप था कि इन्होंने 25 फरवरी 2020 को शिव विहार इलाके में एक मकान को लूट लिया, तोड़-फोड़ की और उसे आग लगा दी। बाद में इस केस में एक क्लिनिक को आग लगाने की शिकायत भी जोड़ दी गई थी।
जुमे के दिन जारी किए गए आदेश में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ सबूत के तौर पर डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (डीवीआर) पेश किया है। हालांकि वीडियो में दिख रहे आरोपियों की पहचान करने के लिए कोई गवाह मौजूद नहीं है।
अदालत ने कहा कि इस केस के जांच अधिकारी ने वीडियो क्लिप्स में मौजूद किसी भी आरोपी की तस्वीर को नमूना तस्वीरों के साथ वैज्ञानिक तरीके से तुलना करने की कोई कोशिश नहीं की। इसी वजह से यह साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं है कि ये वीडियो आरोपी के ही हैं।
अदालत ने कहा कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) से भी आरोपियों के सटीक स्थान का सबूत नहीं मिलता। पुलिस ने इस घटना में आरोपियों के शामिल होने को साबित करने की भी कोशिश नहीं की। मेरे ख्याल में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है।
जज ने कहा कि इस केस में आरोपियों के खिलाफ आरोप बिल्कुल साबित नहीं होते। अदालत ने हाशिम अली, अबूबकर, मोहम्मद अजीज, राशिद अली, नजमुद्दीन और मोहम्मद दानिश को आरोपों से बरी कर दिया। क़वाल नगर पुलिस स्टेशन ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था।