वक्फ एक्ट में बदलाव हरगिज़ भी स्वीकार नहीं होगा: आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
नई दिल्ली: 4 अगस्त
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट कर देना आवश्यक समझता है कि वक्फ एक्ट 2013 में कोई ऐसी बदलाव जिससे वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति बदल जाए या इसे हड़प लेना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, हरगिज़ भी स्वीकार नहीं होगा। इसी तरह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी पूरी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि प्रमाणित सूचनाओं के अनुसार, भारत सरकार वक्फ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदल देना चाहती है ताकि इस पर कब्जा करना और इन्हें हड़प लेना आसान हो जाए। सूचनाओं के अनुसार, इस प्रकार का बिल अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट कर देना आवश्यक समझता है कि वक्फ संपत्तियाँ मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए वे दान हैं जिन्हें धार्मिक और चैरिटेबल कार्यों के लिए वक्फ किया गया है। सरकार ने बस इन्हें नियमन करने के लिए वक्फ एक्ट बनाया है।
उन्होंने आगे कहा कि वक्फ एक्ट और वक्फ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरिया एप्लिकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए भारतीय सरकार इस कानून में कोई ऐसी संशोधन नहीं कर सकती जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और स्थिति ही बदल जाए।
उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों से संबंधित जितने भी फैसले और कदम उठाए हैं, उनमें कुछ छीन लिया है और कुछ नहीं दिया है, चाहे मौलाना आज़ाद फाउंडेशन का बंद होना हो या अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप की समाप्ति या फिर तीन तलाक से संबंधित कानून हो। उन्होंने कहा कि यह मामला मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा। वक्फ संपत्तियों पर हमला करने के बाद आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ संपत्तियों और फिर हिंदुओं के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों पर भी आ सकता है।
डॉ. इलियास ने स्पष्ट किया कि मुसलमान वक्फ एक्ट में कोई भी ऐसी संशोधन हरगिज़ स्वीकार नहीं करेंगे जो इसकी स्थिति को बदल दे। इसी तरह वक्फ बोर्डों की कानूनी और न्यायिक स्थिति और अधिकारों में हस्तक्षेप को भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने एनडीए की सहयोगी पार्टियों और अन्य विपक्षी राजनीतिक पार्टियों से आग्रह किया कि वे हर ऐसी प्रस्तावित संशोधन को पूरी तरह अस्वीकृत करें और इसे संसद से मंजूर न होने दें। डॉ. इलियास ने आगे कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारतीय मुसलमानों और उनकी धार्मिक और सामुदायिक संगठनों से अपील करता है कि वे केंद्रीय सरकार के इस कदम के खिलाफ एकजुट होकर आगे आएं। बोर्ड भी इस कदम को विफल बनाने के लिए हर प्रकार के कानूनी और लोकतांत्रिक रास्ते अपनाएगा।